बुधवार, 5 सितंबर 2012
|| नर्मदाजी की स्तुति ||
गुरुवार, 9 अगस्त 2012
गाय माता की महिमा
सोमवार, 31 जनवरी 2011
नर्मदाष्टकम
सबिंदु सिन्धु सुस्खल तरंग भंग रंजितम
द्विषत्सु पाप जात जात कारि वारि संयुतम
कृतान्त दूत काल भुत भीति हारि वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे १
त्वदम्बु लीन दीन मीन दिव्य सम्प्रदायकम
कलौ मलौघ भारहारि सर्वतीर्थ नायकं
सुमस्त्य कच्छ नक्र चक्र चक्रवाक् शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे २
महागभीर नीर पुर पापधुत भूतलं
ध्वनत समस्त पातकारि दरितापदाचलम
जगल्ल्ये महाभये मृकुंडूसूनु हर्म्यदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ३
गतं तदैव में भयं त्वदम्बु वीक्षितम यदा
मृकुंडूसूनु शौनका सुरारी सेवी सर्वदा
पुनर्भवाब्धि जन्मजं भवाब्धि दुःख वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ४
अलक्षलक्ष किन्न रामरासुरादी पूजितं
सुलक्ष नीर तीर धीर पक्षीलक्ष कुजितम
वशिष्ठशिष्ट पिप्पलाद कर्दमादि शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ५
सनत्कुमार नाचिकेत कश्यपात्रि षटपदै
धृतम स्वकीय मानषेशु नारदादि षटपदै:
रविन्दु रन्ति देवदेव राजकर्म शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ६
अलक्षलक्ष लक्षपाप लक्ष सार सायुधं
ततस्तु जीवजंतु तंतु भुक्तिमुक्ति दायकं
विरन्ची विष्णु शंकरं स्वकीयधाम वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ७
अहोमृतम श्रुवन श्रुतम महेषकेश जातटे
किरात सूत वाड़वेषु पण्डिते शठे नटे
दुरंत पाप ताप हारि सर्वजंतु शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ८
इदन्तु नर्मदाष्टकम त्रिकलामेव ये सदा
पठन्ति ते निरंतरम न यान्ति दुर्गतिम कदा
सुलभ्य देव दुर्लभं महेशधाम गौरवम
पुनर्भवा नरा न वै त्रिलोकयंती रौरवम ९
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे
नमामि देवी नर्मदे, नमामि देवी नर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे
माँ रेवा की जय ! माँ नर्मदा जी जय !
प्रस्तुति : पं राजेन्द्र दीनानाथ कराहे देवास (म. प्र )
शनिवार, 10 जुलाई 2010
माँ नर्मदा की आरती
माँ नर्मदा की आरती
ॐ जय जगदानंदी, मैया जय आनंद्करनी
ब्रह्मा हरिहर शंकर रेवा शिव हरी शंकर रुद्री पालान्ती, ॐ जय जगादानंदी १
देवी नारद शारद तुम वरदायक, अभिनव पदचंडी,
सुरनर मुनि जन सेवत, सुरनर मुनि जन ध्यावत, शारद पदवंती, ॐ जय जगदानंदी
देवी धुम्रक वाहन राजत वीणा वादयती,
झुमकत झुमकत झुमकत, झननन झननन झननन, रमती राजन्ती, ॐ जय जगदानंदी २
देवी बाजत ताल मृदंगा, सुरमंडल रमती
तोड़ीतान तोड़ीतान तोड़ीतान तुररड तुररड तुररड, रमती सुरवंती, ॐ जय जगदानंदी 3
देवी सकल भुवन पर आप विराजत निशदिन आनंदी,
गावत गंगाशंकर सेवत रेवाशंकर तुम भाव मेटन्ती, ॐ जय जगदानंदी 4
मैयाजी को कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती,
अमरकंठ में विराजत, घाटन घाट विराजत कोटि रतन ज्योति, ॐ जय जगदानंदी 5
माँ रेवा की आरती जो कोई जन गावै मैया जो सुन्दर गावै
भजत शिवानन्द स्वामी जपत हरिहर स्वामी , मनवांछित फल पावै, ॐ जय जगदानंदी 6
बुधवार, 20 जनवरी 2010
आरती मारुतीनंदन की
आरती अन्जनीनंदन की मारुति केशरी नंदन की
जोड़कर हाथ शीश नवाऊं, दास प्रभु तुम्हरो कहलाऊं ,
जो आज्ञा तुम्हरी मै पाऊं प्रेम से रामचरित गाऊं
पार मेरा बेडा कर दीजै शीश पर कर को धर दीजै
धरे जो ध्यान, मिले भगवान्, मुक्त हो प्राण
दीजै पदवी भक्तन की , मारुति केशरी नंदन की
आरती अन्जनीनंदन की .................................. १
समुन्दर कूद गए छ्ण में पहुँच गए अशोक उपवन में ,
माता कर रही सोच मन में, मुद्रिका डाल दिया पल में ,
जोड़कर कमल खड़े आगे, भूख से दो ही फल मांगे,
उजाड़े बाग़, लगाई आग, दैत्य गए भाग,
नाश कर दीजै दुष्टन की, मारुति केशरी नंदन की
आरती अन्जनीनंदन की ......................... २
लंका जला चले आये, खबर माता की ले आये ,
रामजी के ह्रदय अति भाये, अंजनीसुत तुम कहलाये,
प्रभु गुण कहाँ तक मै गाऊं, पार वेदों में नहीं पाऊं,
सृष्टी सुख करण शोक को हरण, जाऊं बलि हरण ,
लाज रख लीजै भक्तन की, मारुती केशरी नंदन की ,
आरती अन्जनीनंदन की .................................३
चोला लाल-लाल राजे, मुठिका गदा हाथ साजे,
हाथ में पर्वत छविराजे, रामजी को कंध ले भागे ,
राखो प्रभु लाज, गरीब निवास करो सिध्द काज ,
काट दो फांसी बंधन की मारुति केशरी नंदन की
आरती अंजनी नंदन की .........................................४
प्रस्तुति : राजेंद्र कराहे, देवास
शुक्रवार, 11 सितंबर 2009
श्री गणेशाय नमः
अथः श्री नवगृह स्तुति प्रारम्भ
नमो भास्करम विश्वपालम दिनेशं, निशानाथ चन्द्रम नमामिरकेशम
नमो भुमिपुत्रम कुजो लोहितांगम, नमो रोहिणीनन्द बुधं शुभांगम
नमो ज्ञानगम्यम सुराचार्य पूज्यम, सदा बुद्धि विद्या प्रदातारमिशम
नमो भार्गवं दैत्य पूज्यं अखंडम, नमो कृष्णकायम शनित्वाम प्रचंडं
नमो सेंहिकेयम नमो चंद्र शत्रुं , नमो धुम्रकेतुम शिखी अर्धकायम
नमोहं नमामि नवग्रह देवं , प्रभोदास नित्यं सदेवं भजेहम
ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सूर्य, शशि, मंगल भव् बाधा हर दो ,
हे बुध, गुरु, भृगु , राहू, केतु, शनि सब अनिष्ट शांत कर दो
श्री नवग्रहदेवातार्पणमस्तु
प्रस्तुति : पंडित दीनानाथ कराहे ,
श्रीराम मन्दिर, गुजरखेडी (पुनासा ),
जिला - पूर्व निमाड़ , खंडवा
मध्य प्रदेश
गुरुवार, 20 अगस्त 2009
आरती सियावर की
आरती करिये सियावर की, अवधपति रघुवर सुंदर की
जगत में लीला विस्तारी कमल दल लोचन हितकारी ,
मुख पर अलके घुंघराली, मुकुट छवि लगती है प्यारी ,
मृदुल जब मुख मुस्काते है , छीन कर मन ले जाते है ,
नवल रघुवीर, हरे मन पीर, बड़े है वीर,
जयति जय करुणा सागर की
अवधपति रघुवर सुंदर की १
गले में हीरो का है हार, पीतपट ओढत राज दुलार ,
गगन की चितवन पर बलिहार किया है हमने तन मन वार,
चरण है कोमल कमल विशाल, छबीले दशरथ के है लाल ,
सलोने श्याम, नयन अभिराम, पूर्ण सब काम ,
सरितु है सकल चराचर की , अवधपति रघुवर सुंदर की ,
आरती करिये सियावर की अवधपति रघुवर सुंदर की २
अहिल्या गौतम की दारा, नाथ ने क्षण में निस्तारा ,
जटायु शबरी को तारा, नाथ केवट को उद्धारा ,
शरण में कपि भुशुण्डी आये, विभीषण अभय दान पाये
मान मद त्याग, मोह से भाग, किया अनुराग ,
कृपा है रघुवर जलधर की, अवधपति रघुवर सुंदर की
आरती करिये सियावर की अवधपति रघुवर सुंदर की ३
अधम जब खल बढ़ जाते है, नाथ तब जग में आते हैं
विविध लीला दर्शाते है , धर्म की लाज बचाते हैं
बसों नयनो में श्री रघुनाथ मातुश्री जनकनंदिनी साथ ,
मनुज अवतार लिए हरबार, प्रेम विस्तार,
विनय है लक्ष्मण अनुचर की , अवधपति रघुवर सुंदर की
आरती करिये सियावर की अवधपति रघुवर सुंदर की ४
सियावर रामचंद्र की जय
पंडित दीनानाथ कराहे ,
श्रीराम मन्दिर , गुजरखेड़ी, (पुनासा)
जिला पूर्व निमाड़ - खंडवा (मध्य प्रदेश )